गैर मर्दों ने मां बनने की खुशी में पार्टी दिया : भाग-१२

गैर मर्दों ने मां बनने की खुशी में पार्टी दिया : भाग-१२


फ्रेंडस,
दीपा बेड पर कुलदीप के गान्ड को जीभ से चाटने में लीन है तो उसका परिणाम सामने दिख रहा है, उसका लंड अब मेरे हाथ में टाईट होने लगा तो मैं गान्ड चाटकर लौड़ा को ही चूसती, इधर कुलदीप आहें भर रहा था ” ओह आह बेबी प्लीज़ छोड़ चाटना अब चूस तो सही
( मैं गान्ड से जीभ निकाल बोली ) डियर ऐसे ही मैं अंबाला छावनी की सबसे बड़ी चुदक्क़ड औरत नहीं जानी जाती, तेरा लंड टाईट है तो अब तू मेरे योनि को चूमेगा और चाटेगा ” फिर मैं बेड पर जांघें फैलाकर लेटी, कुलदीप वाशरूम जाकर फ्रेश हुआ फिर वापस आया तो उसने रुकसाना को आवाज लगाया ” रुकसाना बेबी जरा मख्खन की टिकिया ले आना ” फिर मेरे सामने बेड पर बैठा लेकिन झट से मेरे छाती के उपर चेहरा किए चूची को पकड़ अपने मुंह में भर चूसने लगा, मेरी चूचियां बड़ी हो चुकी थी और उसपर मैं ३८ सी साईज की ब्रा पहनती थी इसलिए मेरी पूरी चूची मुंह में लेना मुश्किल था फिर भी कुलदीप मेरे आधे से अधिक चूची मुंह में लिए चूसने लगा तो उसका हाथ मेरे जांघो के बीच था, मेरे चिकने बुर को उंगली से फैलाकर उसमें एक साथ दो उंगली घुसाए कुरेदने लगा तो मैं आज सुबह से अब तक पांच बार रस छोड़कर ढीली तो थी लेकिन मेरी जवानी और उमंग के कारण मैं सेक्स करते वक़्त हमेशा ही फ्रेश रहती थी। कुलदीप मेरी चूची मुंह से निकाल दूसरे स्तन को मुंह में लिए चूसने लगा, कुछ देर तक बुर को उंगली से चोदा फिर चूची मुंह से निकाल मेरे छाती को चूमने लगा तो मेरे जिस्म में मानो आग लगी हो, मैं बुर की खुजली से परेशान होकर अपने दोनो जांघो को आपस में रगड़ने लगी ताकि चूत की मोटी फांकें रगड़ खाए और फिर खुजलाहट कम हो लेकिन कुलदीप का चुम्बन मेरे जिस्म में सनसनी फैला रहा था और अब वो कमर से नीचे चूत की ओर जाने लगा तो मैं जांघें को पूरी तरह से फैलाकर बुर उसे सौंप दी, कुलदीप बुर पर नाक रगड़ने लगा तो मैं ” उह ओह डियर इट्स हॉट चाट ना पता नहीं कब रस निकल जाए ” फिर उसके ओंठ मेरी चूत को चूमने लगा, मेरे बूब्स पकड़े वो मसलने लगा तो मैं बिन पानी की मछली की तरह छटपटा रही थी लेकिन कुलदीप बुर पर चुम्बन देता हुआ मुझे कामुक कर चुका था और ज्योंहि मेरी बुर को फैलाकर जीभ से चाटना शुरू किया, मैं ढीली पड़ गई और मेरी बुर से रज की धार छुट पड़ी लेकिन कुलदीप बुर को चाटता हुआ मस्त था और मैं उसके बाल सहलाते हुए सुस्त लेटी हुई थी।
रात के १०:२० हुए थे तभी रुकसाना रूम में आईं और मुझे देख पूछी ” मैडम मुझे नींद आ रही है कोई काम तो नहीं
( मैं बोली ) बाबू जग जाए तो आकर मुझे बताना ” फिर वो चली गई तो मैं बेड पर पट लेट गई और कुलदीप मेरे गान्ड को सहलाने लगा, मुझे पता था कि कुछ देर में ही मेरी गान्ड वो चोदेगा, मेरे चूतड की फांक को अलग करके वो चाटना शुरू किया और मेरे गुदाज गान्ड चाटता हुआ बोला ” अब चल साली अपने घुटनों के बल हो जाए ” फिर मैं कोहनी और घुटनों के बल हुए डॉगी स्टाईल में हुई तो कुलदीप गान्ड में मख्खन घुसाने लगा, एक टुकड़ा मख्खन की अंदर ठेलकर उंगली से गान्ड चोदने लगा फिर पीछे मुड़कर देखी की वो गान्ड के छेद को फैलाकर जीभ से चाटने जा रहा है, मुझे काफी मजा आ रहा था तो उसने तुरन्त ही अपना लंड पकड़े चूतड के सामने बैठा फिर गान्ड के अंदर लंड घुसाने लगा, मेरी चिकनी गांड़ में उसका मोटा लंड घुसता जा रहा था तो मैं मस्त होती जा रही थी और फिर कुलदीप ने जोर से चोदा तो सर्सराता हुआ उसका लंड गान्ड में था लेकिन मैं चिल्ला पड़ी ” ओह मां फाड़ दिया मेरी गान्ड
( कुलदीप गान्ड चोदता हुआ मस्त था ) लगता है काफी दिनों से गान्ड नहीं चुदाई हो इसलिए रास्ता जाम हो गया ” फिर उसका लंड अंदर बाहर होता जा रहा था तो मख्खन के कारण गान्ड चिकनी हो गई थी और उसका मूसल लंड अंदर बाहर तेजी से हो रहा था, कुलदीप मेरे गरदन को पकड़ मेरे जिस्म को ही आगे पीछे करते हुए गान्ड चोदने लगा तो मैं कामुकता वश अपने चूतड को हिलाने लगी, दीपा दिन में दो बार चुदाई थी तो शाम से मेरी तीसरी चुदाई हो रही थी भले ही गान्ड की चुदाई हो या फिर एक बार वीर्यपात रुकसाना के गान्ड में हुआ था। मैं अब चूतड को स्प्रिंग की तरह हिलाने लगी तो कुलदीप अब धीरे धीरे मेरी गान्ड चोदने लगा और मेरे सीने से लटकते चूची को पकड़ दबाने लगा तो अब गान्ड की गरमी बढ़ने लगी और मेरे गान्ड में उसका लौड़ा तेजी से अंदर बाहर हो रहा था तो मैं अब चूतड स्थिर कर मजे लूटने लगी, मेरी गान्ड में गरमी हो रही थी तो साले का लौड़ा धकाधक चोदे जा रहा था और उसके हाथ मेरी चूची पर था कि मेरी बुर गरम होकर रसीली होने लगी ” ओह उह उई बुर से पानी निकल आया डियर चोद अब
( कुलदीप गान्ड से लंड बाहर निकाला फिर मेरी बुर में लंड पेलने लगा ) ओह सेक्सी तू तो साली दिन प्रतिदिन जवान होती जा रही है तो बुर और नशीली ” फिर उसने चोदना शुरू किया तो मेरी बुर से फच फ़्च की आवाज आने लगी और मैं भी संभोग सुख का आनंद बढ़ाने के लिए चूतड को हिलाना शुरू की ” उह ओह कुलदीप तेरा लंड तो मोटा होता जा रहा है, क्या बहनों कि फुद्ददी चोदता है
( वो गपागप लंड पेलने लगा ) तो क्या तेरी बहनें बुर की आरती उतारती है ” मैं चुप रही और गिले बुर में लंड का धक्का मजा दे रहा था तो रुकसाना वहां आकर बोली ” मैडम एक बार बाबू को दूध पिला दीजिए ” तो मैं अब घुटनों के बल रहकर थक चुकी थी, तो फिर कुलदीप ने लंड निकाला फिर मैं फ्रेश हुई और दूसरे रूम जाकर बाबू को दूध पिलाने लगी।


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